Saturday 19 March 2016

फिंगरप्रिंट तकनीक-fingerprint technique

Fingerprint-hindihow
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग आपराधिक मामलों की गुत्थियां सुलझाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही मातृत्व, पितृत्व या व्यक्तिगत पहचान को निर्धारित करने के लिए इसका प्रयोग होता है.

तकनीक

१९८४ में ब्रिटिश लीसेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक सर एलेक जेफ्रेज ने इस तकनीक का विकास किया था।
शरीर में उपस्थित अरबों-खरबों कोशिकाओं के क्रियाकलाप डीएनए द्वारा निश्चित किये जाते हैं। हालांकि डीएनए कणों का ढांचा हर व्यक्ति में एक समान होता है, लेकिन उन्हें गढ़ने वाले बुनियादी अवयवों का क्रम सभी में समान नहीं होता। एक ही प्रजाति के सदस्यों के बीच पहचान ढूंढने के लिए इस अंतर का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया को जेनेटिक फिंगरप्रिंटिंग और डीएनए प्रोफाइलिंग भी कहा जाता है जीवन सूत्र यानि डी एन ए संसार के सभी जीवधारियों में, मानवों की तरह वंशानुक्रम पर आधारित होता है। यह किसी भी जीव की हर सूक्ष्म इकाई में पाया जाता है. जीवन सूत्र यानि डी एन ए संसार के सभी जीवधारियों में, मानवों की तरह वंशानुक्रम पर आधारित होता है। यह किसी भी जीव की हर सूक्ष्म इकाई में पाया जाता है. फिंगर प्रिंट लेने की मौजूदा तकनीक में श्रम तो लगता ही है साथ ही इसमें समय भी ज्यादा लगता है। इसमें जहरीले रंगों और रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. जब भी कोई व्यक्ति अपराध करता है, तो वह हड़बड़ी में कहीं न कहीं अपनी अंगुलियों के निशान छोड़ जाता है। जैसे पानी के गिलास, खिड़की दरवाजे या अन्य किसी वस्तु, सामान को पकड़ने से ये निशान उस पर छूट जाते है किसी भी चीज से अंगुलियों के निशान प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञ उन निशानों पर एक विशेष किस्म का अत्यंत बारीक सफेद पाउडर छिड़कते हैं जिसकी वजह से वे निशान उभर आते है.

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