ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण अमेरिका में वर्ष 2050 तक जल संकट पैदा होने की संभावना है. यह रिपोर्ट अमेरिका के लाफायेटे स्थित टेटरा टेक इन्कौर्पोरेशन के अनुसंधान और विकास विभाग द्वारा 16 फरवरी 2012 को जारी किया गया. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारणों के अलावा जनसंख्या वृद्धि के चलते बढ़ती खपत और विद्युत उत्पादन के चलते पानी की मांग के स्तर में बढ़ोत्तरी होने की संभावना को भी जल संकट का प्रमुख कारण माना गया.
पर्यावरण की इन चुनौतियों से निपटने और इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रत्येक वर्ष पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। सवाल है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे पर्यावरणीय खतरों से निपटने के लिए क्या वैश्विक स्तर पर गंभीर प्रयास हो रहे हैं। चूंकि, पर्यावरण का मसला किसी खास देश अथवा महाद्वीप से नहीं जुड़ा है और इसे बनाने एवं बिगाड़ने में हर छोटे-बड़े देश की भूमिका है। इसलिए, पर्यावरण की प्रकृति सुरक्षित रखने में सभी को सक्रिय प्रतिबद्धता दिखानी होगी।
बीते वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग जिस तेजी से बढ़ा है और जलवायु परिवर्तन के जो खतरे सामने आए हैं, वे चिंतित करने वाले हैं। बीते 10 मई को पृथ्वी के परिवेश में कार्बन डाइआक्साइड का स्तर 400 पीपीएम को पार कर गया। परिवेश में सीओटू का यह स्तर भविष्य में आने वाले गंभीर खतरे का संकेत है। पर्वायरण कार्यकर्ता कार्बनडाइ आक्साइड के इस स्तर को लेकर सचेत हुए हैं लेकिन वैश्विक समुदाय इसे कम करने के लिए कौन से उपाय करता है, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है.
अमेरिका में वर्ष 2050 तक जल संकट पैदा होने संबंधी रिपोर्ट के अनुसार कुल 3,100 अमेरिकी काउंटियों में प्रत्येक 10 में से सात को ताजे पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट में उन सभी स्थानों की पहचान वाला नक्शा भी लगाया गया है, जहां पानी की किल्लत होने वाली है. रिपोर्ट में अमेरिका के प्रत्येक काउंटी के लिए वर्ष 2050 तक का जल आपूर्ति स्थिरता जोखिम सूचकांक बनाया गया है. इस सूचकांक में पानी निकासी, अनुमानित वृद्धि, अनुमानित जलवायु परिवर्तन और अन्य कारकों के बारे में जानकारी दी गई है.
ग्लोबल वॉरमिंग के लिये सूरज की प्राबाईगानी किराने और माइक्रोवेव तरंगे जिम्मेदार हैं, इंसान तो बस पीस रहा है, मुद्दे की बात ए है की ग्लोबल वॉरमिंग के बहाने बहुत बड़ा कारबार सुरु हो चुका है पहले बोला की कागज मत इस्तमाल करो क्योकि इसके लिये पेड़ काटे जाते हैं इसके बदले कंप्यूटर का इस्तमाल करो पर कंप्यूटर जो गर्मी छोड़ती है उसका क्या? पहले पेट्रोल की गाडिया बनाई और घोड़े वाली बग्गी और घोड़े के इस्तमाल के चलन को खत्म कर दिया, पूरी दुनिया मे खूब कारे बिकी, अब बोल रहे हैं की चुकी पेट्रोल खत्म होने की कगार पर है इसलिये फ्युयेल सेल वाली गाडियाँ खरीदो, फिर बोलेंगे की सोलर सेल वाली खरीदो, ग्लोबल वॉरमिंग इस तरह के प्रॉडक्ट के प्रचार का माध्यम है, और कुछ नही.
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