Saturday 19 March 2016

सिंथेटिक सेल (कृत्रिम कोशिका) – Synthetic cell (artificial cells) in Hindi

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अमेरीकी वैज्ञानिक और प्रसिध्द डॉक्टर जे क्रेग वेंटर ने घोषणा की है कि उनकी टीम ने विश्व का पहला ‘सिंथेटिक सेल’ अर्थात जीवन तैयार कर लिया है. उन्होंने स्वीकार किया कि इस खोज ने जीवन की परिभाषा और उसकी अवधारणा को बदल दिया है. फिर भी वह एक नई प्रजाति या चलता-फिरता जीव बनाने से कोसों दूर हैं, तथापि सत्य यह है कि उन्होंने कृत्रिम जेनेटिक कोड (डीएनए) बना लिया है, जो किसी भी प्रकार के जीवन का मूलाधार होता है.
वेंटर की टीम ने एक आम बैक्टीरिया ‘माइकोप्लाज्मा माइक्वायड्स’ के पूरे जीनोम का मानचित्रण किया। यहां से जीनोम की सूचना प्राप्त कर डीएनए सिंथेसाइजर में केमिकल के द्वारा कृत्रिम डीएनए तैयार किया गया। यीस्ट और ई-कोलाई बैक्टीरिया के सेल से उनके डीएनए को निकाल कर उसके स्थान पर इन कृत्रिम डीएनए को रखा गया। इसके बाद टीम ने पाया कि इन सेलों से तैयार हुए नए सेल में भी कृत्रिम डीएनए वैसे ही रेप्लीकेट होते हैं जैसे प्राकृत्रिक डीएनए। वाकई यह आश्चर्य का मसला है कि नए सेल में कृत्रिम डीएनए ने अपना काम वैसे ही किया जैसे कोई प्राकृतिक डीएनए करता है।
क्रेग वेंटर का कहना है कि उन्होंने पहली संश्लेषित कोशिका की रचना की है, जिस पर संश्लेषित जीनोम नियंत्रण रखता है. यह मानव द्वारा निर्मित पहली संश्लेषित सेल है. वह इसे संश्लेषित इसलिए कहते हैं कि सेल को विशुद्ध रूप से संश्लेषित गुणसूत्र द्वारा निर्मित किया गया है. इसे रासायनिक संश्लेषण की चार बोतलों से निर्मित किया गया है और इस काम में कंप्यूटर की सहायता भी ली गई है.
जेनेटिक इंजीनियरिंग? विज्ञान बिरादरी सवाल खडा कर रही है कि क्या इस सेल के साथ कोई भविष्य भी जुडा है? वेंटर को तो जो करना था, उन्होंने किया, लेकिन उन्हें अब वैसे सवालों का जवाब भी देना चाहिए जो सिंथेटिक सेल के निर्माण के साथ ही उठ खडे हुए हैं। सबसे पहला सवाल यह कि क्या सचमुच वेंटर का सेल एक कृत्रिम सेल है? कृत्रिम सेल की अवधारणा तो यह कहती है कि सेल के सारे कंपोनेंट पूरी तरह से लैब में तैयार किए होने चाहिए। लेकिन वेंटर का सेल पूरी तरह से कृत्रिम नहीं है। वेंटर ने ई-कोलाई के डीएनए को हटाकर कृत्रिम डीएनए को प्रतिस्थापित किया, लेकिन सेल का बाह्य कवच तो ई-कोलाई का वही प्राकृत्रिक कवच रहा। वेंटर ने पूरे सेल का निर्माण कृत्रिम तरीके से कहां किया? इसी तरह की राय ब्रिटेन के नोबेल विजेता जीवविज्ञानी पॉल नर्स भी रखते हैं.
क्रेग वेंटर का मानना है कि यह उस युग का सूर्योदय है, जब नया जीवन मानवता के लिए बेहद हितकारी होगा. इससे ऐसे बैक्टीरिया का निर्माण किया जा सकता है, जो आपकी कार के लिए ईंधन के रूप में इस्तमाल होगा, वातावरण में से कार्बन डाईआक्साइड सोख कर वैश्विक ताप को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा और तो और इन बैक्टीरिया से रोगों को दूर करने वाले टीके भी बनाए जा सकेंगे.

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